मुश्किलों की टूटी काँच का गुलदान बनाने की कला तुम्हारे पास है दूर दराज के इलाकों में नहीं तनिक भीतर नजर उठाकर देखना बेशकीमती खजाना तुम्हारे पास है । 👉 जी भरकर जीए nature feel of soul
क्षण भर रुका व्यतीत अवश्य ! पर नहीं बंधना होता है पतंग को उसकी डोर कभी न कभी पीछे हाथ में रह जाती है जो रेत मुट्ठी से धीरे - धीरे सरक जाती है सच है , भागना भी उसके पीछे मैदान गली - गली सँकरी गली
विगत दिनों के प्रकाश में रजनी के रजत हास में ओस कणों के मृदुल वास में फूलों के मधुर पराग में झिलमिलाता स्वप्न चलते जाने का पथ पर बिखरी छटा सलोनी बंद राहें कोष्ठक से दरवाजे खोल दो
इतना ही पल काफी है हार और जीत इन दोनों से पार स्मृतियों के गुजरते देश में जाने को बीते लम्हे की खुशबू ओढ़े किसी लिफाफे की तहे परतों को खोलता हुआ झरोखों में ढलता दिन प्रभात का अभिव्यंजक पुलकों में समाविष्ट मन की हलचल का तार
वीणा आज रखी थी चुप छेड़े नहीं गए थे मधुर राग उस पर , समय कुँठाव काली चुप अंधेरे में खो गई थी समाधिस्थ अंतर्मन में वो यों रखी थी , बिन वादक के लय सजीव विधुरनी हो गई थी