सावन गीत



मन  हो  रहा  उद्दीप्त  नृत्य  करता  मन  मयूरा

थिरका  रहा  इन  टपटप   बूँदों   से  ताल  ले

बही  चली  नदियाँ   में   कागज  की  नाव  रे

तरुवर   ओढ़े   चुनर   हरियाली   की   उपजें

कोपलें  भाव  मन  की  माटी   से  प्रीत  जुड़ी

पुष्पित  मलय  समीरा  घुलता  जो  श्वास  में

मेघ   मल्हार   देता   राग   अलमस्त   फुहारें

रामधेनु  से  जीवन  में   रंग  लिए  चित्र  सजे

उमंग  उल्लास  पर्व - त्यौहार  के  हर्षित  दिन

अनबन   मन   की    सारी   भूल  ,  दिल   से

दिल   का   मेल   हुआ  ,   इस   बरसात  में

आज   मन   प्रफुल्लित   हो    पूर्णता    जो

इस   बारिश   में    मिल    भीग   गया  ...।


टिप्पणियाँ

  1. प्रिय प्रिया जी हो सके तो अपने ब्लॉग की थीम बदले फिर ब्लॉग और बढ़िया हो जाएगा 🙏🌹🌹

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