हर मन में शुभता का संचार करे
हार से अविकल अविचल संकल्पित
जीवन सुरभि सुभावों से सुवासित
त्याग जीवन मूल्य अटूट नेहबंध से
जुड़ती मन प्रीत साची अनवरत पथ
पर सुमंगल सुमुधर गीत गान गाती
पल्लव से विकसित प्रात दीपज्योति
आभा लोहित चंदन लाल ललाट
हल्दी का घुलता पीलाभ संयुक्त
मुट्ठी में बंद संकल्प विश्वभावना प्रेम
अमर देता हर जंजीरों के बंधनों को मात ,
क्षुद्रता आलस्य प्रमाद से परे जीवनालोक
विस्तृत हरी दूब पर ज्यों मीठी धूप खिले
ममत्व के आँचल में सितारे सजे
मोती - मोती से मुक्तमाल बने
जीवन श्वास - प्रश्वास माला
नित प्रभु का जाप करे
जीवन सुरभि सुभावों से सुवासित
हर मन में शुभता का संचार करे

जय जगन्नाथ ! हर प्रात एक नव शुरुवात हो एक शुभ शुरुवात हो ।
जवाब देंहटाएंकोमल और प्रेरक भावों से सजी रचना. 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेणु जी !
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