एक बीते जीवन की डोर अपने अंतर में लिए
स्मृतियों के देश में एक बीते जीवन की डोर कथा कहती जुबानियाँ मुस्कुराती नादानियाँ कुछ शरारतें कुछ मासूमियत जिन्हें देख खुशी से पुलक उठते थे बड़़े , भूला अपनी सारी परेशानियाँ बहुत से सबक खेल - खेल में ही संस्कार बन जीवन के अंतरंग भाग हो गए